आरंभिक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास की कुछ विषय वस्तु :-
{ भाग 1/10 }
~ प्राचीन काल के भारतीय इतिहास को हम कई भागो में बाँट सकते है . बहुत सारी भाषाओ का विकास उसी समय में हुआ था , भाषाओ में सनस्क्रीटी पली , प्राकृत इत्यादि भाषाओ का चलन था , उस समय के साहित्य को इन्ही भाषाओ के खंड के रूप में बिभाजित किया जा सकता है .
~प्राचीन भारतीय साहित्य के प्रमुख विषय थे :-
1. सूत्र साहित्य
2. व्याकरण
3. महा काव्य
4. कविता
5. उपदेश
6. श्रींगार
इत्यादि .
~ मुख्यतः साहित्य का अध्ययन साँसकृत तथा उसके साहित्य तक ही सिमित था ...
~ बोधा तथा जैन धर्मं के प्रचार प्रसार के कारन , पाली और प्राकृत भाषाओ का चलन बढ़ा . ये भाषाएं आम आदमियों की भाषाये थी . संस्कृत उस समय की सबसे समृद्ध भासा थी , तथा उच्च वर्गों के लोगो द्वारा उपयोग में लाया जाता था ....
~ वैदिक ग्रंथो और अन्य हिन्दू ग्रंथो , धर्मं पुस्तकों की रचना संस्कृत में ही किया गया था , और विकास कार्य भी संस्कृत में ही हुआ .
~ बोध धर्मं ग्रंथो की रचना मुख्यतः पअली और प्राकृत में हुआ .
~ हालाँकि हर छेत्र , मुख्या प्रतिस्थानो तथा धार्मिक कार्यो मेंन संस्कृत का प्रयोग ही किया जाता था ...
{ आशा है की आपको हमारा ये अंस अच्छा लगा होगा , आगे के पृष्ठों में हम इसी विषय पर बात करेंगे .. इसीलिए हमारा ब्लॉग देखते रहिएगा , धन्य वाद }
हमें स्पेल्लिंग्स गलत होने का खेद है, हम उन्हें सुधारने का कोशिश करेंगे
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