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Thursday, July 1, 2010

Arambhik bhartiya sanskritik itihass ki kuchh vishaya vastu:- { bhag 1/10 }

आरंभिक  भारतीय  सांस्कृतिक  इतिहास  की  कुछ विषय  वस्तु :-
{ भाग 1/10 }


~ प्राचीन  काल  के  भारतीय  इतिहास  को  हम  कई  भागो  में  बाँट  सकते  है . बहुत  सारी   भाषाओ  का  विकास  उसी  समय  में  हुआ  था , भाषाओ  में  सनस्क्रीटी  पली , प्राकृत  इत्यादि  भाषाओ  का   चलन   था , उस  समय  के  साहित्य  को   इन्ही  भाषाओ  के  खंड  के  रूप  में  बिभाजित  किया  जा  सकता  है .


~प्राचीन  भारतीय  साहित्य  के  प्रमुख  विषय    थे :-
      1. सूत्र  साहित्य 
      2. व्याकरण 
      3. महा  काव्य 
      4. कविता 
      5. उपदेश 
     6. श्रींगार
 इत्यादि .


~ मुख्यतः  साहित्य  का  अध्ययन  साँसकृत  तथा  उसके  साहित्य  तक  ही  सिमित  था ...
~ बोधा  तथा  जैन  धर्मं  के  प्रचार  प्रसार  के  कारन  , पाली  और  प्राकृत  भाषाओ  का  चलन  बढ़ा  . ये  भाषाएं  आम  आदमियों  की  भाषाये  थी . संस्कृत   उस  समय  की  सबसे  समृद्ध  भासा  थी , तथा  उच्च  वर्गों  के  लोगो  द्वारा  उपयोग  में  लाया  जाता  था ....


~ वैदिक  ग्रंथो  और  अन्य   हिन्दू  ग्रंथो , धर्मं  पुस्तकों  की  रचना  संस्कृत  में  ही  किया  गया  था , और  विकास  कार्य  भी संस्कृत   में  ही  हुआ .
~ बोध    धर्मं  ग्रंथो  की  रचना  मुख्यतः  पअली  और  प्राकृत  में  हुआ .


~ हालाँकि  हर  छेत्र  , मुख्या  प्रतिस्थानो  तथा  धार्मिक  कार्यो  मेंन  संस्कृत  का  प्रयोग  ही  किया  जाता  था ...






{ आशा  है  की  आपको  हमारा  ये अंस  अच्छा  लगा  होगा , आगे  के  पृष्ठों  में  हम  इसी  विषय  पर  बात  करेंगे .. इसीलिए  हमारा  ब्लॉग  देखते  रहिएगा , धन्य  वाद  } 


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